बिजली कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने लंबे समय तक यूपी के मुख्यमंत्री रहने पर योगी आदित्यनाथ को बधाई दी। समिति ने उनसे ऊर्जा विभाग की कमान संभालने की अपील की। पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण का फैसला रद्द करने की मांग की। समिति ने ऐलान किया कि विधानसभा के मानसून सत्र से पहले विधायकों को निजीकरण के पीछे कथित घोटाले की जानकारी दी जाएगी। ऊर्जा मंत्री के बयान पर आपत्ति दर्ज कराई ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा के सोशल मीडिया X पर समिति ने कड़ा एतराज जताया। मंत्री ने बिजली कर्मचारियों पर अभद्र भाषा का आरोप लगाया। समिति ने इसे पूरी तरह निराधार बताया। कहा, कर्मचारी शांतिपूर्ण प्रदर्शन करते हैं। विदेश यात्रा को निजीकरण से जोड़ना भ्रामक है। समिति का दावा है कि घाटे के झूठे आंकड़े दिखाए जा रहे हैं। कर्मचारियों में भय का माहौल बनाया जा रहा है। यह निजीकरण को बढ़ावा देने की साजिश है। ऑडिटिड बैलेंस शीट विधायकों को भेजने का निर्णय समिति ने पावर कॉरपोरेशन की ऑडिटिड बैलेंस शीट विधायकों को भेजने का फैसला किया। इससे साबित होगा कि सब्सिडी और सरकारी बकाए को जोड़कर घाटा दिखाया जा रहा है। यह निजीकरण की रणनीति का हिस्सा है। निजीकरण के लिए ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट 2025 का हवाला दिया जा रहा है। यह दस्तावेज सार्वजनिक डोमेन में नहीं है। लाखों की संपत्तियां बेचने का कोई वैधानिक आधार होना चाहिए भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय ने इसे राज्यों को नहीं भेजा। न ही इस पर आपत्तियां मांगी गईं। समिति ने सवाल उठाया कि लाखों करोड़ की संपत्तियां इस आधार पर कैसे बेची जा सकती हैं?ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट की नियुक्ति में अनियमितताओं का आरोप लगाया गया। हितों के टकराव का प्रावधान हटाया गया। झूठा एफिडेविट देने वाले से तैयार करा रहे निजीकरण के दस्तावेज मेसर्स ग्रांट थॉर्नटन ने झूठा एफिडेविट पत्र दिया। फिर भी, उसी कंपनी से निजीकरण के दस्तावेज तैयार कराए गए। 1 लाख करोड़ की संपत्तियों की रिजर्व प्राइस 6500 करोड़ तय की गई। यह मूल्यांकन के बिना किया गया। समिति इसे बड़ा घोटाला मानती है। अगले 15 दिनों में विधायकों को तथ्य और दस्तावेज सौंपे जाएंगे। यह निजीकरण की साजिश को उजागर करेगा। 22 जुलाई के प्रदर्शन की सफाई भी दी समिति ने ऊर्जा मंत्री से 22 जुलाई को मिलने का समय मांगा था। 3 दिसंबर 2022 और 19 मार्च 2023 के समझौतों का पालन न होने पर सवाल उठाए। इन समझौतों में कर्मचारियों पर उत्पीड़नात्मक कार्रवाइयां रोकने का वादा था। समिति ने पूछा, ये कार्रवाइयां अब भी क्यों जारी हैं? उत्पीड़न किस आधार पर हो रहा है? प्रदर्शन के दौरान पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। पूरे घटनाक्रम का वीडियो फुटेज उपलब्ध है। यह फुटेज ऊर्जा मंत्री और पुलिस के पास है। समिति ने दावा किया कि कर्मचारियों ने अभद्र भाषा का उपयोग नहीं किया। उनका आंदोलन गांधीवादी सिद्धांतों पर आधारित है। लगातार 243वें दिन भी जारी रहा प्रदर्शन निजीकरण के खिलाफ 243वें दिन भी प्रदर्शन जारी रहा। पूरे प्रदेश में बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण और उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाई। समिति ने कहा कि जनता को सस्ती और विश्वसनीय बिजली देना उनकी प्राथमिकता है। निजीकरण से यह लक्ष्य खतरे में पड़ सकता है। समिति ने ऊर्जा मंत्री से संवाद की अपील की। कहा, कर्मचारियों की वाजिब मांगों पर विचार हो।