मध्यभारत की विंध्याचल पर्वत मालाओं में स्थित खिवनी वन्यजीव अभ्यारण बाघों का प्राकृतिक घर है। ये क्षेत्र जैव विविधता से समृद्ध है और बाघों के संरक्षण के लिए उपयुक्त जगह है। अभ्यारण प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है। यहां नदियां, झरने, पहाड़ और घास के मैदान हैं। यह वातावरण बाघों के संरक्षण और संवर्धन के लिए आदर्श है। सीहोर और देवास जिले के जंगलों में 134 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैले इस अभ्यारण में बाघों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वर्तमान में यहां 10 बाघ हैं। इनमें 2 नर, 5 मादा और 3 शावक शामिल हैं। बरसात के दिनों में बाघ अपने पूरे परिवार के साथ घास के मैदानों में विचरण करते देखे जा सकते हैं। खिवनी वन्यजीव अभ्यारण के विस्तार का प्रस्ताव तैयार
अभ्यारण में बाघों की बढ़ती संख्या के कारण उनके विचरण के लिए जंगल छोटे पड़ने लगे हैं। इसलिए खिवनी वन्यजीव अभ्यारण के विस्तार का प्रस्ताव तैयार किया गया है। अभ्यारण प्रबंधन इसकी कार्ययोजना पर काम कर रहा है। सीहोर-देवास में बाघों के लिए ज्यादा जगह मिलेगी
इस संबंध में सीहोर और देवास जिले के वन मंडल अधिकारियों की बैठकें हो चुकी हैं। दोनों जिलों में कुल 1 हजार 500 हेक्टेयर जंगल का विस्तार किया जाएगा। इससे बाघों को घूमने और रहने के लिए अधिक क्षेत्र उपलब्ध होगा। 'जगह जैव विविधता की दृष्टि से समृद्ध'
रेंजर भीम सिंह सिसोदिया ने बताया कि आने वाले समय में अभ्यारण में बाघों की संख्या और बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि ये जगह जैव विविधता की दृष्टि से समृद्ध है। बाघों के विचरण और उनकी बढ़ती संख्या को देखते हुए अभ्यारण का विस्तार आवश्यक है। इस पर काम चल रहा है और जल्द ही अभ्यारण का दायरा बढ़ाया जाएगा।