बूंदी का ऐतिहासिक सुख महल बना संग्रहालय:जैत सागर झील किनारे 1776 में बना महल, 8वीं सदी की मूर्तियों से सजा

May 18, 2025 - 14:05
 0  0
बूंदी का ऐतिहासिक सुख महल बना संग्रहालय:जैत सागर झील किनारे 1776 में बना महल, 8वीं सदी की मूर्तियों से सजा
विश्व संग्रहालय दिवस पर बूंदी के जैत सागर झील किनारे स्थित सुख महल में स्थापित संग्रहालय विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। पुरातत्व विभाग द्वारा विकसित इस संग्रहालय का निर्माण राव राजा विष्णु सिंह ने 1776 में अपने दीवान सुखराम की देखरेख में करवाया था। झील किनारे स्थित इस महल की विशेषता है कि इसकी नींव पानी के नीचे प्रतीत होती है। महल की दूसरी मंजिल पर सफेद संगमरमर की छतरी इसकी शोभा बढ़ाती है। महल को पुराने महल से एक गुप्त भूमिगत सुरंग से जोड़ा गया है, जो आपातकाल में राजा और प्रजा के लिए सुरक्षित मार्ग का काम करती थी। पाषाण काल के उपकरण संरक्षित संग्रहालय में 8वीं और 9वीं शताब्दी की मूर्तियां संरक्षित हैं। यहां पाषाण काल, ताम्र पाषाण काल और उत्तर पाषाण काल के उपकरण और धातुएं भी प्रदर्शित हैं। राजकीय संग्रहालय में हाड़ौती क्षेत्र की पाषाण प्रतिमाएं, बूंदी और कोटा शैली के लघुचित्र तथा विभिन्न अस्त्र-शस्त्र रखे गए हैं। पुरातत्व विभाग के सीनियर सुपरिटेंडेंट जगदीश वर्मा के अनुसार, मूर्तिकला खंड में तपस्यारत पार्वती, दुर्गा, नाग-युग्म, नरवराह, अग्नि, अनल वसु और लोक जीवन से संबंधित मूर्तियां प्रदर्शित हैं। चित्रकला खंड में कृष्णलीला, राज पुरुष, नायक-नायिका और शिकार के दृश्यों को दर्शाया गया है। अस्त्र-शस्त्र दीर्घा में पाषाण उपकरण, तीर-तुक्के, ढाल-तलवार, बंदूकें, पिस्टल, रिवाल्वर, भाले आदि विषयवार शोकेस में रखे गए हैं। इनमें कुछ हथियार कला के उत्कृष्ट नमूने हैं। बूंदी क्षेत्र से मिले हस्त कुठार, कोर, कलेवर, लघु पाषाण उपकरण, ताम्र कुल्हाड़ी और छैनी को अलग शोकेस में सजाया गया है। संग्रहालय हमारी धरोहर भारतीय संस्कृति निधि इंटेक के संयोजक एडवोकेट राजकुमार दाधीच ने कहा कि यह संग्रहालय हमारी धरोहर और शिक्षा का माध्यम है। यह इतिहास को संजोने का जरिया है। उन्होंने बताया कि विश्व संग्रहालय दिवस का उद्देश्य खत्म हो रही जनजातियों, इतिहास और विरासत को बचाना है। संग्रहालय रोजगार और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देता है। इस वर्ष इंटेक संस्था ने ‘समुदाय से संग्रहालय का भविष्य’ थीम पर विचार गोष्ठी आयोजित की है। पुरातत्व जानकार सर्वदमन शर्मा ने कहा कि बूंदी में पुरातत्व महत्व के कई स्थल हैं। यहां बिखरी हुई धरोहरों को चिह्नित कर संग्रहालय में लाना चाहिए। चौक-चौराहों पर रखी तोपों को भी संग्रहालय में रखा जाए। उन्होंने सरकार से मांग की कि संग्रहालय का समय सुबह 7 से शाम 7 बजे तक किया जाए। ताकि गर्मियों में पर्यटक सुबह-शाम संग्रहालय देख सकें।

What's Your Reaction?

Like Like 0
Dislike Dislike 0
Love Love 0
Funny Funny 0
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 0