प्रतापगढ़ में सोहनपुर और ओली के अनुसूचित क्षेत्रों में भूमि अधिकारों को लेकर विवाद सामने आया है। सोमवार को भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व में सैकड़ों आदिवासी मिनी सचिवालय पहुंचे। उन्होंने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। मोर्चा का आरोप है कि गैर-आदिवासी किशन कुमावत ने आदिवासी भूमि का अवैध नामांतरण करवाया है। यह कार्रवाई संविधान की पांचवीं अनुसूची का उल्लंघन है। साथ ही राजस्थान काश्तकारी अधिनियम 1955 की धारा 42 (बी) और पेसा अधिनियम के प्रावधानों के खिलाफ है। भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा के मांगीलाल मीणा ने बताया-राजस्थान पेसा नियम 2011 के तहत ग्राम सभा की अनुमति के बिना भूमि का अधिग्रहण या नामांतरण अवैध है। सुप्रीम कोर्ट के समता जजमेंट (1997) और जगपाल सिंह बनाम पंजाब केस में भी ग्राम सभा को सामुदायिक भूमि पर निर्णय का अधिकार दिया गया है। आदिवासियों ने प्रशासन से दो प्रमुख मांगें की हैं। पहली, गैर-आदिवासी द्वारा किए गए अवैध नामांतरण पर तुरंत कार्रवाई की जाए। दूसरी, ग्राम सीमा के भीतर पारंपरिक रूप से रह रहे आदिवासियों को वैध पट्टे जारी किए जाएं।