नरसिंहपुर में गिरती छत के नीचे पढ़ने को मजबूर बच्चे:शिक्षामंत्री के जिले के लोकीपार स्कूल का भवन जर्जर; बच्चे बैठने में डरते हैं

Jul 31, 2025 - 10:59
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नरसिंहपुर में गिरती छत के नीचे पढ़ने को मजबूर बच्चे:शिक्षामंत्री के जिले के लोकीपार स्कूल का भवन जर्जर; बच्चे बैठने में डरते हैं
जब एक शिक्षक पढ़ाता है तो बाकी दो कक्षाओं के बच्चे सुनते हैं, बारिश के दौरान छत से छज्जा गिर जाए तो...। शिक्षामंत्री उदयप्रताप सिंह के गृह जिले के लोकीपार गांव में स्कूल की दयनीय स्थिति सामने आई है। जिला मुख्यालय से मात्र छह किमी दूर स्थित शासकीय नवीन माध्यमिक शाला में पहली से 8वीं तक की सभी कक्षाएं केवल दो जर्जर कमरों में चल रही हैं। इन कमरों की हालत इतनी खराब है कि बारिश के दौरान छत से पानी रिसता है। जब एक शिक्षक पढ़ाते हैं, तो अन्य दो कक्षाओं के बच्चे भी उसे सुनते हैं। स्थिति यह है कि बारिश होने पर बच्चों को इमली के पेड़ के नीचे बैठना पड़ता है। बच्चे बोले-छत गिरने का डर कक्षा सात के छात्र उदयप्रताप सिंह ने बताया कि 6वीं, 7वीं और 8वीं के सभी बच्चे एक ही कक्षा में बैठकर पढ़ते हैं। छात्रा राखी यादव ने कहा कि उन्हें बहुत डर लगता है, क्योंकि ऊपर से छत गिरती रहती है और ऐसा लगता है कि पूरी छत ही उनके ऊपर गिर जाएगी। शिक्षिका नेहा शर्मा ने बताया कि एक दिन जब वे स्कूल में बैठीं थी, तभी ऊपर से छत गिरने लगी। उस दिन उन्होंने तय किया कि वे अब इस भवन में बच्चों की कक्षा नहीं लगाएंगी। बच्चों का भटकता है ध्यान वर्तमान में दो कमरों को गोदरेज की अलमारियों से बांटकर तीन कक्षाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन इससे भी समस्या का समाधान नहीं हुआ है। एक ओर बारिश और दूसरी ओर आवाजों की गूंज से बच्चों का ध्यान भटकता है। यहां शिक्षक तीन कक्षाएं एक साथ पढ़ाते हैं। एक बोलता है, दूसरे को सुनाई पड़ता है। बच्चों का ध्यान भटकता है। साफ मौसम में पेड़ के नीचे पढ़ाते हैं गणित की शिक्षिका कमलेश साहू ने बताया कि जर्जर बिल्डिंग की आधी छतें पहले ही गिर चुकी हैं। बारिश में बच्चों को बाहर नहीं बैठाया जा सकता, इसलिए जब मौसम अच्छा होता है तो वे इमली के पेड़ के नीचे पढ़ाते हैं। 2019 से भवन निर्माण की मांग प्रभारी प्राचार्य शिखा शर्मा ने बताया है कि उन्होंने 2019 से लगातार भवन निर्माण की मांग की है। दो महीने पहले पुरानी बिल्डिंग को डिस्मेंटल करा दिया गया था, लेकिन बारिश के कारण नीलामी अटक गई है। अब एक कमरे में कक्षा 6 से 8 और दूसरे में कक्षा 1 से 5 तक की पढ़ाई चल रही है। कोई गतिविधि करना संभव नहीं होता। हमारा ध्यान बच्चों की पढ़ाई से ज्यादा उनकी सुरक्षा पर लगा रहता है। इस विद्यालय के बच्चे विज्ञान प्रदर्शनी, ओलंपियाड और मोगली महोत्सव जैसे कार्यक्रमों में जिला और राज्य स्तर तक पहुंचे हैं। शिक्षकों की मेहनत और बच्चों की लगन आज भी उम्मीदें जिंदा रखे हुए हैं। एक्स्ट्रा रूम की व्यवस्था कर रहे हैं शिक्षा विभाग के डीपीसी आरपी चतुर्वेदी ने बताया कि भवन जर्जर हो चुका है और फिलहाल दो कमरों में कक्षाएं संचालित हो रही हैं। भारी बारिश के चलते निर्माण कार्य रुका है, लेकिन एक और अतिरिक्त कक्ष की व्यवस्था की जा रही है।

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