दिनेश के बेटे ने बताया पहलगाम में क्या हुआ?:कहा-पापा को नहीं पता था कलमा क्या है, टैरेरिस्ट ने गोली मारी; बहन को लोकल लोगों ने बचाया
गोलियों की तड़तड़ाहट... चीखें, भागते हुए खुद को बचाते हुए लोग, डर का वो मंजर...पापा कहां है, क्या आपने मेरे पापा को देखा वो ऐसे दिखते हैं, उन्होंने जैकेट पहन रखी है क्या वो आपको कहीं दिखे? ये सब कुछ रायपुर के मिरानिया परिवार के तीन लोगों के दिल-दिमाग में घूम रहा है। ये मनोदशा है रायपुर के कारोबारी दिनेश मिरानिया की पत्नी नेहा, बेटे शौर्य और बेटी लक्षिता की। 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले में रायपुर के दिनेश भी मारे गए। बेटे शौर्य ने दैनिक भास्कर को सब कुछ बताया जो इस परिवार ने देखा, महसूस किया और अब झेल रहा है। इस रिपोर्ट में आगे पढ़िए बेटे शौर्य की आंखोदेखी उनकी जुबानी जो उन्होंने दैनिक भास्कर को बताया- बगल में अंकल चल रहे थे, उन्हें लगी गोली शौर्य- हमनें काफी सुन रखा था पहलगाम में मिनी स्विट्जरलैंड है, तो वहीं हम घूमने गए हुए थे। वहां एंटर हुए तो पापा और बहन साथ में आगे गए, एक ट्रैम्पोलिन के पास। मम्मी वॉशरूम गई थीं। मैं फूड काउंटर की तरफ चला गया था सोचा था कि कुछ खाकर आगे जाएंगे। मेरे बगल में एक अंकल चल रहे थे, उन्हें एकदम से गोली लगी। उनके ब्लड के छींटें उड़कर मेरे चेहरे पर आए। मैंने हाथों से चेहरा पोंछा देखा खून था। घोड़े वाले ने मुझे खींचकर निकाला सब लोग भागने लगे, गोलियां चल रही थी मैं टेबल के नीचे छिप गया। रेंगते हुए गेट से जैसे तैसे बाहर निकल गया। एक घोड़े वाले ने देखा उसने मुझे खींचकर निकला और बाहर लेकर गए। फायरिंग हो गई, गोली लग गई इन बातों का शोर था। मैं कॉल कर रहा था पापा को, नेटवर्क नहीं था। गोलियां चल रही थी आधे घंटे बीत गए तब मम्मी मुझे दिखाई दी। मम्मी को आजू-बाजू के लोग खींचकर वहां से ले आए। 2 से ढाई बजे के आस-पास फायरिंग हुई थी, मुझे ठीक से याद नहीं। चार से पांच बजे के आसपास मुझे एक नंबर से कॉल आया। फोन पर मेरी बहन थी रोते-रोते मुझे उसने कहा कि भैया मुझे हाथ पर कट लगा है पापा को गोली लग गई है। उसके हाथ से किसी ने फोन लिया कोई ऑफिसर होंगे, उन्होंने मुझे कहा कि श्रीनगर या अनंतनाग ले जाया जाए, आप लोग वहीं आइए। बहन के सामने पापा को गोली मारी
शौर्य ने कहा कि, कुछ देर बाद जब मेरी बहन मुझे मिली तो उसे थोड़ा नॉर्मल किया, उसने बताया कि हम ट्रैम्पॉलिन की बाजू में खड़े थे, कोई आया गन लेकर उसने पापा को बोला कि कलमा पढ़ो...पापा को नहीं पता था, ऑब्यसली कलमा क्या है हम नहीं जानते। पापा चश्मा और टोपी निकाल रहे थे उतने में उन्हें गोली मार दी, बहन वहीं खड़ी थी। कलमा पढ़कर बहन को बचाया
शौर्य ने बताया कि, इसके बाद मेरी बहन के करीब कुछ लोकल लोग आए उन्होंने कलमा पढ़कर टैरेरिस्ट को सुनाया और मेरी सिस्टर को लेकर पहाड़ों की तरफ भागे उसे बचाया। बाद में फायरिंग रुकी और फोर्स के लोग आए, तब एक-एक करके सभी को नीचे लाया गया। इंडियन आर्मी ने मेरी बहन से कहा कि, हम आर्मी से हैं घबराइए मत इसका वीडियो अब वायरल है। मोजे से पिता को पहचाना
शौर्य ने कहा- दोपहर से रात के 8 बज चुके थे। हमें पता नहीं चल पा रहा था पापा कहां है। मैं बार-बार कोशिश कर रहा था कि मैं कहां जाऊं...फोर्स के लोगों को पापा का नाम बता रहा था, वो कैसे दिखते हैं बता रहा था। 8 बजे मुझे एक कॉल आया अनजान नंबर से उन्होंने कहा कि अस्पताल आ जाओ, मैं अंदर गया वहां बॉडीज रखी हुई थी, मैंने पापा का पैर देखा, मोजे से उन्हें पहचाना कि ये पापा हैं। उन्हें शहीद माना जाए
शौर्य ने बताया- सरकार से हमको यही उम्मीद है कि मेरे पिता को शहीद माना जाए। सरकार की मदद से ही हम कश्मीर से यहां तक परिवार को लेकर आए हैं, हम यही चाहते हैं कि उन्हें शहीद माना जाए बाकी सरकार पर भरोसा है। मोरारी बापू की कथा में जाना था हमें
शौर्य ने बताया कि हमारे परिजन ने श्रीनगर में मोरारी बापू की कथा का आयोजन करवाया था। पहले हम वैष्णो देवी गए। इसके बाद पहलगाम वगेरह घूमकर कथा में जाना था मगर उससे पहले ही ये घटना हो गई। पापा से हंसते खेलते खुशी के माहौल में ट्रिप के बारे में बातें कर रहे थे, लास्ट में यही बातें हो रही थीं और फिर ये सब हो गया। आतंकियों के साथ क्या हो क्या कहूं !
सवाल- अब उन लोगों के साथ क्या होना चाहिए, जिन्होंने ये हमला किया? सवाल सुनकर शौर्य थोड़ा रुके, फिर बोले- क्या होना चाहिए... अब मुझे यह सब पता नहीं है, क्या चल रहा है, गवर्नमेंट क्या कर रही है, घर के बाहर की मुझे जानकारी नहीं है। पर वहां सिक्योरिटी बढ़ा देनी चाहिए, मैं और कुछ नहीं कहता, जिन्होंने ये किया उन्हें सजा मिले, बस यही कहना है।
(यह कहकर शौर्य चुप हो गए कुछ सोचने लगे.. उनकी स्थिति देखकर रिपोर्टर ने आगे कोई सवाल नहीं किया) परिजनों से मिले भूपेश बघेल
शुक्रवार को छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पीड़ित परिवार से मिलने समता कॉलोनी स्थित निवास पहुंचे। इस दौरान उन्होंने परिवार के लोगों से मुलाकात की। मीडिया से बात करते हुए कहा कि, यह पूरी घटना इंटेलिजेंस फेलियर का नतीजा है। इस बात को सरकार ने भी स्वीकार किया है अब इसमें जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। यह केंद्र शासित राज्य है यहां सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी गृह मंत्रालय पर थी लेकिन एक भी सुरक्षाकर्मी तैनात नहीं था। न पुलिस का जवान था न पैरा मिलिट्री फोर्स थी न सेना थी। यदि वहां पर सुरक्षा होती तो इतने लोगों की मौत नहीं होती। इसके लिए अमित शाह को भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
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