भारतमाला घोटाले पर ACB-EOW की कार्रवाई:नेता प्रतिपक्ष महंत बोले - CBI जांच की मांग करता हूं और करता रहूंगा

Apr 25, 2025 - 23:00
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भारतमाला घोटाले पर ACB-EOW की कार्रवाई:नेता प्रतिपक्ष महंत बोले - CBI जांच की मांग करता हूं और करता रहूंगा
भारतमाला परियोजना में गड़बड़ी को लेकर छत्तीसगढ़ में ACB और EOW की बड़ी कार्रवाई के बाद नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने दोहराया है कि इस पूरे मामले की जांच सीबीआई से ही होनी चाहिए। महंत ने साफ कहा कि उन्हें राज्य सरकार की कार्रवाई से कोई मतलब नहीं, वे पहले भी सीबीआई जांच की मांग कर चुके हैं और अब भी उसी पर कायम हैं। महंत ने कहा कि उन्होंने यह मुद्दा विधानसभा में उठाया, मुख्यमंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी तक को पत्र लिखा और अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र भेजा। उन्होंने दोहराया, "मैंने सीबीआई जांच की मांग की है, करता रहूंगा और तब तक करता रहूंगा जब तक मेरी मांग पूरी नहीं होती।" PMO ने मामला संज्ञान में लिया भारतमाला परियोजना में सामने आए कथित मुआवजा घोटाले को लेकर नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को भेजी गई चिट्ठी पर पीएमओ ने उनकी शिकायत का संज्ञान लिया है और उन्हें वहां से जवाब प्राप्त हुआ है। महंत ने कहा कि भारतमाला प्रोजेक्ट में मुआवजे के वितरण में गंभीर गड़बड़ी हुई है, जिसे लेकर उन्होंने पहले मुख्यमंत्री, फिर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था। अब प्रधानमंत्री कार्यालय से पत्र मिलने के बाद उन्होंने उम्मीद जताई है कि केंद्र सरकार इस मामले की गंभीरता को समझेगी और जल्द ही CBI जांच का निर्णय लेगी, ताकि दोषियों को सजा मिल सके और पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके। विधानसभा में भी उठाया था मामला नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि राज्य के राजस्व मंत्री ने खुद विधानसभा में स्वीकार किया था कि जांच में गड़बड़ियों की पुष्टि हुई है। प्रारंभिक रिपोर्ट में आर्थिक क्षति की बात सामने आई थी। पहले कमिश्नर जांच के आदेश हुए, फिर EOW को जांच सौंपी गई, लेकिन अब तक न तो किसी के खिलाफ एफआईआर हुई और न ही कोई ठोस कार्रवाई। कितने करोड़ का घोटाला? नेता प्रतिपक्ष ने अपने पत्र में दावा किया था कि भारत सरकार को 43 करोड़ 18 लाख 27 हजार 627 रुपए की आर्थिक क्षति हुई है। उनके अनुसार, वास्तविक मुआवजा राशि केवल 7 करोड़ 65 लाख रुपए थी, लेकिन 49 करोड़ 39 लाख रुपए से अधिक की राशि का भुगतान कर दिया गया। महंत ने आरोप लगाया कि अधिसूचना जारी होने के बाद फर्जी दस्तावेजों के जरिए नामांतरण और खातों का विभाजन किया गया। इसके चलते कई गुना अधिक मुआवजा दिखाकर भुगतान कर दिया गया।

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